रिश्तों की सच्चाई को उजागर करती पंक्तियाँ - अपने स्वार्थ के लिए शायरी
अपने स्वार्थ के लिए शायरी में पढ़ें रिश्तों की वो सच्चाई, जो समय और जरूरत के साथ बदल जाती है। दिल को छू लेने वाली हकीकत।
अपने स्वार्थ के लिए शायरी – देश, धर्म और समाज पर आधारित सच्चाई भरी शायरी हिंदी में
अपने स्वार्थ के लिए किस हद तक गिर जाते हैं लोग,
घर परिवार देश मिटे तो मिटे बस अपना जलवा दिखाते हैं लोग। 💔
धर्म के नाम पर भी नफ़रत फैलाते हैं लोग।
वो ही अब मज़हब से दीवार बनाते हैं लोग। 😔
जब अपने स्वार्थ के लिए कोई अपना बदल जाता है,
तो दिल बहुत कुछ सह जाता है।
रिश्तों में छुपा दर्द कोई समझ न सका,
अपने स्वार्थ के लिए शायरी ये हकीकत बयान कर जाता है। 💔
देश के नाम पर कसमें खाने वाले,
अपने स्वार्थ के लिए उसे भी बेच आते हैं।
सरहद की मिट्टी रोती है तन्हा,
जब सत्ता के भूखे वादे निभा नहीं पाते हैं। 💔
समाज में बदलाव की बातें सब करते हैं,
पर अपने स्वार्थ के लिए ही लड़ते हैं।
जो सच बोले वही गुनहगार बन जाए,
ऐसे झूठे आदर्श आजकल पलते हैं। 🤐
धर्म को बना लिया सौदेबाज़ी का ज़रिया,
अपने स्वार्थ के लिए तोड़ दी सारी मर्यादाएं।
ना बचा प्रेम, ना रही संवेदनाएं,
अब तो ईमान भी बिकने लगा नीलामियों में। 😢
अपने स्वार्थ के लिए झुक जाते हैं ये झंडे,
देशभक्ति भी अब राजनीति के चंदे।
राष्ट्र की आत्मा को किया कैद कुछ नारों में,
अब सच्चाई भी दबती है सत्ता के मारों में। 🔥
समाज की सच्चाई और अपने स्वार्थ के लिए शायरी - हिंदी में भावनात्मक और यथार्थपूर्ण पंक्तियाँ
कभी समाज के लिए जीने का चलन था यहाँ,
अब अपने स्वार्थ के लिए लोग बदलते हैं यहाँ।
अपने स्वार्थ के लिए शायरी जो सच्चा हो, वही अकेला पड़ जाता है,
बाकी सब तो भीड़ के साथ चलते हैं यहाँ। 😔
समाज अब आईने नहीं, मुखौटे दिखाता है,
हर चेहरा मुस्कराकर धोखा पहुँचाता है।
अपने स्वार्थ के लिए लोग गिरते जाते हैं,
और सच बोलने वाले ही चुप करवाए जाते हैं। 🤫
अजीब रिवाज़ है इस समाज का जनाब,
यहाँ अच्छाई को ही सबसे ज़्यादा सज़ा मिलती है।
अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते तक तोड़ डालते हैं लोग,
और फिर भी खुद को समझदार कहते हैं। 🤥
समाज को बदलने की बात तो हर कोई करता है,
पर शुरुआत कोई अपने घर से नहीं करता है।
अपने स्वार्थ के लिए सबका नज़रिया अलग होता है,
फिर चाहे रिश्ता हो या ज़मीर, सब बिकता है। 💔
आजकल समाज में इंसानियत कम, स्वार्थ ज़्यादा है,
मुस्कुराते चेहरों के पीछे झूठ का वादा है।
अपने फायदे के लिए लोग सबकुछ बेच देते हैं,
इंसान नहीं, अब मतलब चलते हैं ज़्यादा। 😓
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शायरी
Nice
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